Sunday 5 March 2023

खुद से संवाद/ कुलबुलाहटें

आज बड़े दिनों बाद ब्लॉग खोला। सोचा देखते हैं पिछले साल क्या लिखा यहाँ। देखा तो एहसास हुआ कि पिछले साल तो कुछ भी नहीं लिखा। आख़िरी ब्लॉग कि एंट्री नवंबर २०२१ की थी। यह एक थकाने वाले वक्त में आराम के लिए चोरी किए हुए समय में एक कोना पकड़कर लिखे हुए संवाद थे। खुद को यह बताने के लिए कि यह थकान क्षणिक है। मैं जानता था मैंने पूरे साल क्या किया। मेरा पूरा साल अलग-अलग तरह की सघनताओं से भरा हुआ था। मैं इस तरफ़ नहीं पाया। आख़िर ब्लॉग और इस ब्लॉग के बीच एक लम्बी थकान है, पूरे २०२२ में पसरी हुई। कुछ अच्छा करना और बहुत कुछ अच्छे होने में भी वो थकान शामिल रही ये ऐसा है जैसे हम किसी खूबसूरत से टुरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाते हैं पर वहाँ की सुबह देखने के लिए उठ नहीं पाते। सुबह निकल जाती है और जब हम आँख खोलते हैं तो दिन अपनी थकान लिए हमसे मिलता है। जल्दी-जल्दी हम क्या देख लें और कहीं कुछ छूटा ना रह जाए कि कोशिश में हम किसी से भी ठीक से नहीं मिल पाते। खुद से भी नहीं। ऐसी ही थकान पूरे २०२२ में मेरे शरीर और मेरे बाहर से संसार में पसरी रही 


२०२१ के अंत में एक ऐसा दौर शुरू हुआ जहाँ मैं अपने काम की ज़मीन पर दौड़कर, बहुत तेज दौड़कर कहीं पहुँच जाना चाहता था। मैंने सामान बाँध लिया था और अपने साथ अपने साथी तैयार कर लिए थे। हमें बस एक लम्बी छलाँग लगानी थी और मैं खुद को कहीं और पाता। उस छलाँग में मैंने गिर जाने पर क्या होगा के समीकरण को शामिल नहीं किया था। मैं २०२२ में उसी मैदान पर लगातार गिरता रहा। गिरता, उठता और सोचता कि और दूसरी उड़ान। अंत तक आते आते मुझे यह बात समझ आयी कि उस उड़ान से ज़्यादा ज़रूरी अभी मेरे लिए यह बात थी कि मैं उस उड़ान को, नहीं उस उड़ान को नहीं, अपनी उड़ान की क्षमता को पहचानूँ। फिर मैं अगर कुछ देर ना भी उड़ूँ तो मैं अपने साथ खुश रह सकता हूँ यह थकान जो लगातार जमा हो रही थी वो ख़ाली हो सकती थी। 

मैंने वही किया और मैंने अपने कदम धीरे कर लिए। जब मैं अब जब अपने साथ थोड़ा ज़्यादा खुश हूँ मुझे लग रहा है कि मैं धीरे-धीरे चलते हुए ही एक ऊर्जा से भर रहा हूँ, धीरे-धीरे ही सही। यहाँ वापस लौटकर आना और इस जिए हुए को दर्ज कर लेना इस बात कि गवाही है कि मेरा अपना कोना मुझे वापस दिखने लगा है। अभी, इस वक्त कई सारी नयी संभावनाओं की कुलबुलाहटें मेरे अंदर जन्म ले रहीं हैं। एक तरफ़ मूराकामी की आधी पढ़ी किताब पड़ी हुई है और दूसरी तरह मेरी बिल्ली सो रही है। बीच में में इन शब्दों को दर्ज कर रहा हूँ।मैं थोड़ी देर इस कोने में इनके साथ बैठना चाहता हूँ।