Wednesday 4 October 2017

'पहला' कुछ भी हो हमेशा ख़ास रहेगा... पहला होने की वजह से नहीं उंसके लिए किए हुए इंतज़ार की वजह से... दो साल पहले मुंबई आने के बाद का पहला काम था ये. ढेर सारे संकोच, सेल्फ डाउट और सीनियर्स के भरोसे के साथ इस फ़िल्म पर काम किया था. आज जब नदी से जाने कितना पानी निकल चुका है और मैं कहीं और खड़ा हूँ, यह फ़िल्म दो इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के बाद सिनेमाघरों में पहुँची है. ज़्यादातर प्रतिक्रियाएं सकारात्मक हैं. 

वैसे तो अपना लिखा ही अब ठीक से याद नहीं पर सीमा बिस्वास, पीयूष मिश्रा, स्वानंद (दादा) किरकिरे और ज़ीशान के साथ एक ही पोस्टर पर ख़ुद का नाम एक साथ देखना एक अनुभव है जो कल्पना और यथार्थ को धुंधला कर जाता है. इस वक़्त पीछे पलट कर देखने का एक सुख है सरसरा सा... और आगे और बेहतर काम करने की चाह. आगे आने वाले काम इससे बेहतर हो सकते हैं पर पहला...पहला तो यही है. 😊
सबका शुक्रिया.