वो मशीन के हर पुर्ज़े को
कसता है अक्सर बड़ी तरकीबों से ।
पेंच चढ़ाता है ।
और एहसास दिलाता है उन्हें कि
वो उस मशीन का एक हिस्सा हैं बस ।
पसंद किसी पुर्जे को नहीं
इस तरह से कसा जाना ।
अपना राग खोकर ,
किसी और की धुन पर गाना ।
पर कहता है वो बिन कसे
पुर्ज़े ठीक से काम नहीं करते।
वो नहीं चाहता उनका अपना अस्तित्व हो,
वो नहीं चाहता कि पुर्ज़े बागी हो जायें ।
© Neeraj Pandey
कसता है अक्सर बड़ी तरकीबों से ।
पेंच चढ़ाता है ।
और एहसास दिलाता है उन्हें कि
वो उस मशीन का एक हिस्सा हैं बस ।
पसंद किसी पुर्जे को नहीं
इस तरह से कसा जाना ।
अपना राग खोकर ,
किसी और की धुन पर गाना ।
पर कहता है वो बिन कसे
पुर्ज़े ठीक से काम नहीं करते।
वो नहीं चाहता उनका अपना अस्तित्व हो,
वो नहीं चाहता कि पुर्ज़े बागी हो जायें ।
© Neeraj Pandey