Monday 8 May 2017

बिखरे पन्नों से भाग-4

मैं एक भूकंप से निकल रहा हूँ, जिंदा हूँ पर दबा हुआ वहीँ कहीं. मैं ये सब बोल कर किसी को बता सकता हूँ, बाँट सकता हूँ. उससे राहत तो मिलती है पर उस ढहे हुए घर के मलबे में मेरे गुज़ारे हुए वक़्त का कुछ सामान अभी भी आँखों के सामने दीखता है. ये वो घर था जो मैंने जीवन की एक छोटी सी ख़ाली जगह में बनाया था. वो अचानक भरभरा कर गिर गया. जब दोस्तों से हर रात घंटों इस बारे में बातें हो जाती है तो मुझे हल्का लगता है, उस हल्केपन में नींद आ जाती है. पर उस ख़ाली जगह का एहसास मेरी नींद में अभी भी कायम है. मैं आजकल अपने सपनों में घूमता रहता हूँ. ऐसी ऐसी जगहें चला जाता हूँ जहाँ पहले कभी नहीं गया और शायद असल जिंदगी में वो जगहें होंगी भी नहीं. पर मुझे वहां अपने जाने पहचाने लोग ही मिलते हैं. सारे दोस्त, रिश्तेदार... उनसे मैं वैसे ही पेश आता हूँ जैसे असल जिंदगी में. यह सब लोग वहाँ क्या कर रहे हैं? मैं वहाँ क्या कर रहा हूँ? इन सारे मिलने वाले लोगों के बीच आज कल एक आदमी भी मिलता है, जिसे मैं मेरे सपनों में मिलने वाला आदमी कहता हूँ. उसकी कद काठी सुडौल है, उम्र कोई पैतालीस के आस पास, उसने पूरी दाढ़ी रखी हुई है. उसका लम्बा कोट और चेहरे का रौब देखकर वो किसी फ़ौज का रिटायर्ड आदमी लगता है पर वो फ़ौज का नहीं है मैं उसे जानता हूँ. वो मेरे ठीक सामने आ कर खड़ा हो जाता है. मैं उसके पास अपने भूकंप की कहानी बताने जाता हूँ,बताते बताते हल्का रोता हुआ... नहीं रोता नहीं, रुआंसा होता हूँ. मैंने उससे कुछ तीन या चार लाइन ही बोल पता हूँ कि वो मुझे रोक देता है. कहंता है “चुप हो जा मैं तेरी कहानी जानता हूँ” और यह बोल कर वो मुझे चुप करा देता है, मैं उसे चुपचाप थोड़ी देर के लिए देखता रहता हूँ. उसके कोट की गर्मी से मुझे थोड़ी राहत मिलती है. मैं उसके सामने रोना चाहता हूँ तभी वो सपने वाला दृश्य बदल जाता है. इस बदले हुए दृश्य में कुछ भी पहले जैसा नहीं है. मैं भी थोड़ी देर रुककर कुछ और करने लगता हूँ.


पर यह सपने में मिलने वाला आदमी कौन है? यह ख्याल थोड़ी देर साथ रहकर अचानक गायब हो जाता है. यह जान कर कहीं ना कहीं अच्छा लगता है कि वो मुझे समझता है. जानता है मुझे भी और उस ख़ाली जगह को जो धीरे धीरे कर के एक घर में तब्दील हो गई थी. वो उस भूकंप को भी जानता है जो हर बार मेरे ख़ाली जगह पर बनाए हुए घर को ढाह कर चला जाता है. 

No comments:

Post a Comment