Monday 28 September 2020

IITian मेकर 'फलाना सर'

हमारे कस्बाई शहर में लड़कों को IIT जाने की होड़ लगी रहती थी। लगभग सबको IIT ही जाना था। कुछ लड़कों की मेहनत रंग लाती वो चले भी जाते... पर जो सालों साल की मेहनत के बाद भी नहीं जा पाते खुद का कोचिंग सेंटर खोल के 'फलाना सर' बन जाते। उनके प्रचार बोर्ड पर IIT में दाखिला दिलाने के मनभावन वादे होते थे। शहर के नए लड़के उनके पास अच्छी खासी घंटे की फीस देकर कोचिंग करने जाते।
'फलाना सर' ने कितने बच्चे IIT भेजे इसका कोई आँकड़ा नहीं है, पर बस वो बात बात में एक दो अंग्रेजी के शब्द बोल देते थे, दो चार बार दिल्ली-बंबई की बात कर देते तो उनकी इमेज बन जाती कि 'इनको आता है... हाँ इनको आता है'... थोड़ा पैसा भी आ गया। मतलब इतनी इज़्ज़त तो आ गयी कि सड़क पर चलते हुए लड़के उनको देख कर एक बार 'प्रणाम सर' बोल ही दें... और पैसा इतना कि अब रात के खाने के बाद बरफी खा सकते थे वो... उनकी ज़िंदगी ठीक चलने लगी... वो खुद को IITian मेकर कहने लगे। हर विषय पर अपना ज्ञान पेलने लगे। कभी कभी तो लगता जो लड़के IIT गये हैं गलती उनसे हो गयी है... शायद उनको भी सर से कम आता हो... ऐसी मार्केटिंग थी 'फलाना सर' की...
फिर कुछ सालों बाद सुना कि कुछ समझदार लड़के उनके कोचिंग के बोर्ड पर लिखे IIT को 'आईं आईं ठगायीं' पढ़ने लगे। मतलब 'आओ आओ ठगे जाओ'... I-I-T... उनके लिए 'फलाना सर' बस 'फलाना' रह गए थे।
अब वही कोचिंग क्लास क्रिएटिव फील्ड में वर्कशॉप के नाम पर खुल गईं हैं, जिनमें भी काटने वालों की संख्या ज्यादा है। खुद का होश नहीं दूसरों की ज़िंदगी का ठेका ले लिया हैं इन्होंने... ये जार्गन्स में बात करते हैं, एक दो बार इंग्लैड-स्पेन करते हैं और खुद को स्टारमेकर कहते फिरते हैं... इससे एक इमेज बन जाती है कि 'इनको आता है... हाँ इनको आता है' और जनता बाहर से इनका बोर्ड देख कर यही बोलती है 'आईं आईं ठगायीं'।

No comments:

Post a Comment