एक सफ़र जो साल 2017 में शुरू हुआ था, पूरा हुआ। इसके दौरान कितना कुछ जिया है अगर उसपर ही रोज़ लिखता तो एक किताब बन जाती। कितना कुछ, अच्छा, बुरा, सेल्फ़ डाउट, उम्मीद, हार और अपनी कमतरी का एहसास। यह सफ़र था कामयाब पर काम करने का। आठ महीने का काम आख़िरकार बारह मिनट में सिमट गया। तीन गाने बने, "टीम-टीम-टीम", "पाँव भारी" और "सिकंदर"। यह अभी लिखते हुए मैं पुणे के एक कैफ़े में बैठा मुस्कुरा रहा हूँ कि ये हो चुका है ये जी लिया है। इसके लिए एक अलग पोस्ट लिखी होगी। ख़ैर, अभी के लिए इन तीनों गानों के बोल (अलग अलग पोस्ट में) और youtube लिंक शेयर कर रहा हूँ। ये गाने अब आपके हुए।
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