Wednesday 21 October 2015

अनुवाद : भोजपुरी से हिंदी : मैना

'मैना' 
[कवि - गोरख पाण्डेय / अनुवाद - नीरज पाण्डेय ]

राजा ने एक दिन मारी 
आसमान में उडती मैना 
बाँध के घर वो लाए मैना 

इसी के पिछले जन्म के कर्म,
किया मैंने शिकार का धर्म 
राजा बोले राजकुमार से 
अब तुम लेकर खेलो मैना,
देखो कितनी सुन्दर मैना ।

खेलने लगा जब राजकुमार
उनके मन में उठा शिकार 
पंख क़तर कर बोला उसने 
मेहनत कर के उड जा मैना । 

है पंख बिना कोई  उड़ पाया, 
राजकुमार को गुस्सा आया 
तब फिर तोड़ी टाँग और बोला 
अब तुम नाचो मैना
ठुमक ठुमक कर नाचो मैना । 

है पाँव बिना कोई नाच पाया 
राजकुमार थोड़ा पगलाया 
तब फिर बोला गला दबा के 
अब तुम गाओ मैना
प्रेम सा मीठा गाओ मैना । 

मरकर कैसे गाने पाए 
राजकुमार राजा बुलवाए 
बोले, बड़ी दुष्‍ट है ये
अब एक बात न माने मैना
सारा खेल बिगाड़े मैना। 

जब तक खून पीया न जाए 
तब तक कोई काम न आए 
राजा कहें कि सीखो कैसे 
चूसी जाए मैना 
कैसे स्वाद बढ़ाए मैना । 

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