मूल कवि: लुईस बोर्गस
अनुवाद: नीरज पाण्डेय
वक़्त के साथ तुम समझोगे
किसी का हाथ पकड़ने और
उसकी रूह को क़ैद कर लेने के
महीन फ़र्क़ को
तुम सीखोगे कि प्रेम का अर्थ झुकने में नहीं होता
किसी का साथ होना
नहीं होती किसी प्रकार की सुरक्षा
तुम समझोगे कि चुंबन नहीं होते अनुबंध
और तोहफ़े नहीं होते वादे
तुम स्वीकार लोगे अपनी हार
अपने झुके हुए सर और खुली हुई आँखों से
किसी स्त्री की कोमलता के साथ,
ना कि किसी शिशु के दुःख की तरह
तुम सीखोगे वर्तमान की सड़क पर चलना
क्योंकि भविष्य का अनिश्चित धरातल
अक्सर बीच में ही कहीं बिखर जाता है
समय के साथ तुम सीखोगे
ज़रूरत से ज़्यादा सूरज की रोशनी भी जला जाती है
फिर तुम अपनी रूह को सजाने के लिए
अपना बाग बसाओगे
बजाय उस इंतज़ार के कि
कोई और लेकर आएगा तुम्हारे लिए फूल
और तुम सीखोगे कि
तुम सह सकते हो
तुम हो ताक़तवर
है तुम्हारी भी क़ीमत
और तुम सीखते जाओगे
सीखते जाओगे
हर अलविदा के साथ
तुम सीखते जाओगे
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