Thursday 23 January 2014

आज के हालात

कई बार जद्दोजहद में , दिमाग़ ये पथ्हर हुआ.
ये जो हो रहा है क्या इसे ऐसे ही होना था...

अब तक थे सब हैप्पी हैप्पी करते हुए गुलामी.
किसी नें इनकी बात करी तो इनको रोना था.

क्यों पुरखों नें खून बहाया,क्यूँ इतने बलिदान करे,
जब उनके बच्चो को मंजूर गुलाम ही होना था.

ये जो हो रहा है क्या इसे ऐसे ही होना था...

लूट रही थी अस्मत माँ की, जाने क्या क्या हो रहा था.
सवाल पूछने वाला अपना छोटा टॉमी सो रहा था.

राम नाम की रटन लगा के, चन्द सिक्को की हड्डी चबा के
जीभ तले अफ़ीम दबा के, इसको तो बस सोना था...

ये जो हो रहा है क्या इसे ऐसे ही होना था...

देख आज फिर हस्तिनापुर में इतिहास दूहराया
फिर से आज खड़ा दुर्योधन, धर्मयुध्य गरमाया..

कर चीर हरण भारत का, तुझे दुःसासन होना था.
ये जो हो रहा है क्या इसे ऐसे ही होना था...

एक संजय फिर से दिखा आज है, मीडीया नाम बताए.
रन्छेत्र की घटना भी सटीक ना ये बतलाए

सेवक वेवेक कुछ ना इसे, व्यापारी होना था.
ये जो हो रहा है क्या इसे ऐसे ही होना था...

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