बकरे सारे खुश हो रहे हैं
कुछ अच्छा होने वाला है ...
सुना है ईद आ रही है,
मंदिर भी बनाने वाला है.
हर बार यही क्यों होता है,
इतिहास खंघाला जाता है...
उज्वल भविष्य की शर्तों पर फिर
इनको कटा जाता है|
कुछ बकरे ये भी सोच रहे
चलो अपना बलिदान सही...
शाहिद तो हम कहलाएँगे
वो अपने भगवान सही|
पर ये तो रस्म है उत्सव की,
ऐसा ही होता दिखता है...
माँस शहादत तक का यहाँ
दुकानों में बिकता है|
अपना हिसाब भी लगा रहा है,
जो दुकान का लाला है...
सुना है ईद आ रही है,
मंदिर भी बनने वाला है|
कुछ अच्छा होने वाला है ...
सुना है ईद आ रही है,
मंदिर भी बनाने वाला है.
हर बार यही क्यों होता है,
इतिहास खंघाला जाता है...
उज्वल भविष्य की शर्तों पर फिर
इनको कटा जाता है|
कुछ बकरे ये भी सोच रहे
चलो अपना बलिदान सही...
शाहिद तो हम कहलाएँगे
वो अपने भगवान सही|
पर ये तो रस्म है उत्सव की,
ऐसा ही होता दिखता है...
माँस शहादत तक का यहाँ
दुकानों में बिकता है|
अपना हिसाब भी लगा रहा है,
जो दुकान का लाला है...
सुना है ईद आ रही है,
मंदिर भी बनने वाला है|