Sunday 15 June 2014

वो सपने देखती थी




















छोटी सी उम्र से ही सपने देखने की आदत थी
चाँद का एक हिस्सा रख लिया था उसने
बाँध कर अपनी चोटी से.
और यकीन था उसे की उसके दाग भी साफ कर देगी वो.

कुछ दिनों बाद खबर आई कोई ब्याह कर ले गया उसे,
और आज उसकी घूँघट में उसके सपने सारे कैदी हो गये हैं.
बाहर ही नहीं निकलते, शायद किसी बोझ तले दबे होंगे.                     

हाँ वो चाँद अमूमन उसकी घूँघट से पीघल कर बहता दिखता है
उसकी शक्ल पर मुझे.
मैं कहता हूँ रोक लो इसे, इसे यूं जाने ना दो
ये तुम्हारी पुरानी पहचान हैं, ये तुम्हारा ही हिस्सा है.

वो कहती है, अब मुमकिन नहीं,
अब बहूत दूर आ चुकी हूँ.
अब बहूत देर हो चुकी है.
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कुछ शब्द समझने को -
चाँद: कुछ बड़ा करने की चाहत
चोटी से बांधना: अपने साथ ही रखना
दाग: लोगों का उसके सपनों पर शक़


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