हम दोनों पैरों से एक साथ
कभी नहीं बढ़ते।
एक पाँव के उठते ही
वहाँ की ज़मीन छूट जाती है
और दूसरा पाँव ये देखता है,
हिचकिचाता है
पर पहले का सहारा लेकर
वो भी छोड़ता है अपनी ज़मीन,
एक भरोसे के साथ ...
इस तरह एक भरोसा
बदल जाता है- एक कदम में...
फिर वो 'एक कदम' बदलता है
सैकड़ों मीलों की दूरी में,
उन सारी संभावनाओं को पूरा करता
जो पहले कदम की
हिचकिचाहट में छुपी थीं।
भरोसा दौड़ना सीख जाता है।
आदमी के इतिहास की
सबसे बड़ी उपलब्धि थी-
वो 'पहला कदम' उठाना|
कभी नहीं बढ़ते।
एक पाँव के उठते ही
वहाँ की ज़मीन छूट जाती है
और दूसरा पाँव ये देखता है,
हिचकिचाता है
पर पहले का सहारा लेकर
वो भी छोड़ता है अपनी ज़मीन,
एक भरोसे के साथ ...
इस तरह एक भरोसा
बदल जाता है- एक कदम में...
फिर वो 'एक कदम' बदलता है
सैकड़ों मीलों की दूरी में,
उन सारी संभावनाओं को पूरा करता
जो पहले कदम की
हिचकिचाहट में छुपी थीं।
भरोसा दौड़ना सीख जाता है।
आदमी के इतिहास की
सबसे बड़ी उपलब्धि थी-
वो 'पहला कदम' उठाना|