स्क्रिप्ट् पर कुछ फ़ीड्बैक थे तो उसी सिलसिले में मैं, कार्तिक और उत्कर्ष एक साथ बैठे थे। रात के क़रीब नौ बजे का समय था। उत्कर्ष ऑफ़िस से कुछ देर पहले ही आया था। हम तीनों मिलकर कहानी के लूपहोल्स को ठीक कर रहे थे तभी उत्कर्ष का फ़ोन बजा। फ़ोन रखने के बाद उसने बताया कि दस बजे तक उसको फ़ुट्बॉल खेलने पहुँचना है तो फटाफट आज के लिए काम निबटाना होगा। उसने मुझसे भी पूछा 'पाण्डेय तुम चलोगे फ़ुट्बॉल खेलने?' मैंने आख़िरी बार फ़ुट्बॉल कुछ पंद्रह साल पहले खेला था पर फ़्लो-फ़्लो में मैंने 'हाँ' कह दिया। 9:30 होते ही उत्कर्ष मुझे खींच कर ले गया और कार्तिक ने बचे हुए दस मिनट के काम को निबटाने का ज़िम्मा लिया। उत्कर्ष की कार में बैठ कर हम दोनों कपड़े चेंज करने के लिए उसके घर आए जो कि वहीं पास में वीर-देसाई रोड पर है। उसने मुझे एक स्पोर्ट्स लोअर और एक जोड़ी पुराने हो चुके स्पोर्ट्स शूज़ दिए। तब तक अभिनव और उसके साथ उसका एक और दोस्त भी आ गए थे। कपड़े बदलकर हम चारों इन्फ़िनिटी मॉल, अंधेरी के पीछे एक ग्राउंड में पहुँचे जहाँ कुछ और दोस्त पहले से मौजूद थे।
सब एक दूसरे को यही बता रहे थे कि कैसे फ़ुट्बॉल में उनका भरोसा ना किया जाए क्योंकि उन्हें खेलना नहीं आता। मुझे जानकार अच्छा लगा कि चलो अपनी इज़्ज़त जाने का ख़तरा कम है, फिर भी सब मुझसे बेहतर तो होंगे ही का ख़याल मेरे दिमाग़ में कहीं था। इस टीम में कुल 10 लोग थे जिनमें से मैं क़रीब आठ या नौ लोगों को किसी ना किसी तरह से पहले से जानता था। दो टीमें पाँच पाँच लोगों की बँट गयीं। सब एक दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए खेल रहे थे। शुरू में मैं डिफ़ेन्स पर था, धीरे धीरे थोड़ा खुलना शुरू हुआ। मुझे बीच बीच में डर भी लगता कि बॉल किसी तेज़ी से आकर मूँह पर ना लगे का किसी खिलाड़ी के पैर से पैर पर चोट ना लगे। बॉल मेरे पास आती तो पैरों को समझ नहीं आता कि उनके साथ कैसा बर्ताव करना है, वे बस चल जाते और बॉल अपनी दिशा बदल लेती। 'भागती बॉल पर मेरे पैरों का आत्मविश्वास एकदम कम हो जाता है।'
बीच बीच में उत्कर्ष, अभिनव और सौरभ के 'बहुत बढ़िया पाण्डेय' और 'शाबाश' जैसे शब्द आते रहे। कुछ देर बाद मैं विपक्ष के गोल पोस्ट की तरफ़ जा कर खेलने लगा इस उम्मीद में कि अगर इस तरफ़ बॉल आयी तो मैं गोल कर पाउँगा...शायद। सौरभ इस तरफ़ गोलकीपिंग कर रहा था। सौरभ और मैं खड़े खड़े अपने इंटर्नल जोक्स भी मार रहे थे। दरसल सौरभ और मैंने एक फ़िल्म पर साथ में काम किया था तो हम एक दूसरे को पहले से जानते थे। खेल धीरे धीरे गरमा रहा था। इस बार बॉल मेरी तरफ़ आयी जिसकी उम्मीद में मैं इस तरफ़ आया था। मैंने सामने से आती बॉल को देखा और घूम कर गोल पोस्ट की तरफ़ मार दिया। हाव्वव...!!! गोल हो गया! हो गया गोल! मेरी टीम ख़ुश थी और मैं आश्चर्य में। सच बोलता हूँ मैंने बस अनुमान कर के उस बॉल को एक दिशा दी थी बस। उसे मारते हुए मुझे एक साथ दोनों कभी नहीं दिखे। या तो बॉल दिखती या फ़िट गोल पोस्ट। पाँवों में इतना ज़ोर भी नहीं था कि वो सट्ट कर के गोल कर सकें...पर गोल हो चुका था। खेल आगे पढ़ चुका था।
थोड़ी देर बार विपक्षी टीम ने भी अपना पहला गोल कर दिया, फिर दूसरा। प्रणय बहुत अच्छा खेलता है, फ़ुट्बॉल और उसकी गति मैदान पर बराबर है। सब यह भी बोल रहे थे कि 'वो अर्जुन है इस टीम का मछली की आँख पर ध्यान रहता है उसका'... मुझे कुछ नियम पता नहीं थे इस वजह से मेरी टीम का थोड़ा नुक़सान भी उठाना पड़ा जैसे एक बार मैंने बॉल को हाथ लगा दिया जिसकी वजह से एक पेनल्टी मेरी टीम को झेलनी पड़ी। खेल के आख़िरी पंद्रह मिनट में मैंने गोल कीपिंग की। एक गोल हुआ जिसके बाद मुझे यह बताया गया कि मैं अगर गोल कीपर हूँ तो हाथ लगा कर रोक सकता हूँ। धत्त, मुझे यह भी पता नहीं था। उसके बाद मैंने चार गोल होने से रोके। थोड़ी देर बार बाहर से ग्राउंड कीपर ने सीटी बजा कर बताया कि हमारा टाइम ख़त्म हो चुका है। हमने पाँच मिनट और माँगे और उसके बाद खेल ख़त्म हुआ। हमने कुल चार गोल किए और विपक्षी टीम ने पाँच। काश मैंने वो गोल हाथ लगा कर रोक लिया होता।
पर अब कोई बात नहीं। सबकी टीशर्ट पसीने से गीली थी। हम सब बैठ कर पानी पी रहे थे और मैच को लेकर एक दूसरे की टाँग खींच रहे थे। पूरा कॉलेज के दोस्तों वाला माहौल था। मुझे भी बड़े दिनों बाद कुछ ऐसा कर के मज़ा आया।और हाँ मैंने गोल भी तो किया था।
हम सब थोड़ी देर बाद वहाँ से निकल लिए। मैं उत्कर्ष के घर आया थोड़ी देर बैठा, बातचीत करी, अपने कपड़े बदले और रात के पौने एग्यारह बजे वहाँ से ये सोचते हुए निकला कि अब कोशिश करूँगा कि फ़ुट्बॉल रेग्युलर खेल जा सके। उत्कर्ष बता रहा था ये सब लोग हफ़्ते में तीन दिन खेलने जाते हैं। मैं घर वापस लौटते हुए यही सोच रहा था कि जो काम करते हुए या करने के बाद अच्छा लगे उसे अक्सर करना चाहिए, हफ़्ते में तीन घंटे की ही तो बात है.और शायद थोड़े दिन लगातार खेलने से बॉल और गोलपोस्ट एक साथ नज़र आने शुरू हो जाएँ
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