Wednesday 1 October 2014

किताबें और घर

ये इतने सारे घर हैं?... ... या किताबें ?

ठीक ठीक कहना मुश्किल है. दोनों में बाहर कवर है और अंदर किरदार बसते हैं और हर दीवार किताब के पन्नों की तरह अपने ही अंदर छुपाए हुए है कई कहानियाँ. ड्रामा, ट्रॅजिडी, रोमॅन्स, कॉमेडी... इनकी तो शॉर्ट स्टोरी भी
लाइफ लॉंग चलती है. अलग अलग अध्यायों में| ये इतने सारे घर हैं या किताबें ठीक ठीक कहना मुश्किल है.


© Neeraj Pandey