Thursday 2 October 2014

हिन्दुस्तान में तरक्की के मायने

कॉरमंगला की एक सड़क पर
जहाँ महँगी गाड़ियाँ दौड़ती हैं
पिज़्ज़ा हट के ठीक सामने
एक और वैसी ही बिल्डिंग बन रही है,
शानदार, उँची, चमचमाती|

खबर है इसमें डोमिनोज़ खुलेगा
चीज़ ब्र्स्ट के साथ एसी की हवा
खाने का एक और ठिकाना
मिल जाएगा मुझे और मेरे दोस्तों को|

सोशल, एकनॉमिकल, पोलिटिकल
चर्चाओं के बीच कोल्ड्रींक गुड़की जाएगी,
ताकि पेट में पहले से मोजूद
ब्रेकफास्ट सेट्ल हो जाए,
और बनेगा प्लान किसी
ऐडवेंचर का कभी...

पर अभी...

इन सारी बातों से अंजान
इसे बनाने वाला एक मजदूर
वहीं फूटपाथ पर बैठकर
अपना अंगोछा बिछा,
खा रहा है अपनी रोटियाँ
प्याज़ के दो टुकड़े के साथ,
और उसकी बिटिया फाँक रही है
सीमेंट की धूल|

ये कैसे ग़रीब रह गया?
अनपढ़ ही होगा
अगर अख़बार पढ़ता
तो पता चलता कि
देश कितनी तरक्की कर गया है|

©Neeraj Pandey