Tuesday 13 October 2020

100 का चक्कर

तबियत तो ढीली चल ही रही थी, ख़ुद को ख़ुद जैसा भी ना लग रहा था। डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने मेरी तबियत से ज़्यादा सवाल इस बात पर पूछ लिया कि मैं आदमी कैसा हूँ। उसकी अपनी वजह थी। इस बीच ख़ुद के बारे में यह बात समझ आयी कि मुझे physical suffering का डर है। मौत आनी है तो जाए एक बार में, जैसे ऐसा हो कि हम नींद से भी ना उठें, पर जीवन किसी बुरे सपने की तरह ना unfold होने लगे। मुझे इस बात का डर है। वैसे मेरी तबियत को ध्यान में रखते हुए ऐसा सोचने की कोई वजह नहीं थी कि बस खेल ख़त्म है पर दिमाग़ का एक हिस्सा उस संभावना पर भी आँख गड़ाए बैठा था। अब इसी को तो डर कहते हैं ना। वैसे डॉक्टर ने बोला कि कोई ज़्यादा घबराने की बात नहीं है और मेरी तबियत ख़राब होने की वजह मैं जैसा हूँ (यानी कि मेरा nature) वो भी हो सकता है। पॉलिटिक्स और सोशल मीडिया के clutter से दूर रहने की हिदायत दी गयी। कहा गया कि वो सब मेरी बॉडी में stress add कर रहे हैं। मैं इस बात को deny नहीं कर सकता। तो मैंने ख़ुद को थोड़ा दूर कर लिया है और उन चीज़ों पर ध्यान दे रहा हूँ जिनसे मुझे ख़ुशी मिलती है। मैं अब लगातार दौड़ने जाने लगा हूँ। डॉक्टर ने भी बोला कि मैं जितना चाहूँ उतना दौड़ सकता हूँ जो चाहूँ वो खा सकता हूँ, बस किसी चीज़ का ज़्यादा load ना लूँ। वैसे डॉक्टर ने सोनोग्राफ़ी लिखी थी पर साथ ही यह भी बोला कि "अभी मत करना अभी 10-15 दिन देखते हैं, अगर दर्द लगातार हुआ तब कराएँगे।कहा था "अगर दर्द लगातार हुआ तो हो सकता है galbladdar में stone हो या फिर ulser" मेरी सुनके ही फट गयी थी। उनके हिसाब से healthy खाने का load लेना भी नुक़सानदायक है। तो क्लीनिक से बाहर निकलते ही एक पंजाबी स्वीट्स टाइप की दुकान में घुसकर मैंने रसमलाई और समोसे खा लिए, जो मैं वैसे नहीं खाता। जीवन का पता नहीं कब क्या हो पर स्वाद लेने में क्या दिक़्क़त है। मरें तो रसमलाई का स्वाद लेकर मरें।


आज इस बात को 10 दिन पूरे हुए पर दर्द दूबारा नहीं हुआ है। जान नहीं जाने वाली, ऐसा लग रहा है पर कभी कभी दर्द का डर दर्द दे जाता है। It's all bloody Psychological. मुझे यह भी बोला गया कि मेरा 'The search for meaning and truth" भी सारी वजहों के साथ एक वजह हो सकते हैं जिसकी वजह से मेरी biology हिली पड़ी है। ज़्यादा मतलब नहीं ढूँढना है :D ख़ैर वैसे भी कोई मतलब है नहीं किसी चीज़ का। मैं ये जो लिख रहा हूँ वो भी बस लिख ही रहा हूँ, कौन पढ़ेगा इसे? और जो लोग पढ़ेंगे उनको तो ये सब पहले से पता है मेरे बारे में। ख़ैर, दौड़ना चालू है। हर रोज़ थोड़ा और बेहतर करने की कोशिश करता हूँ। कल रात सोते हुए सोचा रहा था कि मेरे पहले 100 किलोमीटर पूरे होने में बस 9.6 kms ही बाक़ी हैं तो आज एक साथ भाग कर पूरा कर दूँगा। फिर लगा कि नहीं, थोड़ा आराम से करना ही ठीक है, ये कौन सा भागा जा रहा है। आज 5:48 AM पर मैं सड़क पर था। कुछ सात किलोमीटर भागा फिर लगा कि अब रुक जाना चाहिए तो रुक गया। 100 पूरे होने में 2.4 kms बाक़ी रह गए हैं। वो मैं आराम से कर लूँगा। जैसा कि मेरे डॉक्टर ने बोला था कि load नहीं लेना है तो नहीं लूँगा। 


पर आज दौड़ते हुए मैं लगातार इस बारे में सोच रहा था कि मेरे 100kms पूरे होने वाले हैं। कभी यह नम्बर बहुत बड़ा लगता था पर अब लगता है कि बस है। लोग एक महीने में चार-चार सौ किलोमीटर भाग रहे हैं। पर ये मेरे पहले 100 किलोमीटर होंगे, इस बात को सोच कर किसी बच्चे सी ख़ुशी होती है। फिर बीच बीच में मैं ये भी सोच रहा था था कि इतने किलोमीटर में मुझे तय किए हुए कितने किलोमीटर याद हैं? प्लेलिस्ट पर उसी वक़्त गाने चले जा रहे थे, सड़क पर लोग बढ़ने शुरू हो गए थे। रात भी हल्की हल्की अपना रंग बदल कर सुबह हो रही थी और मेरी भीगी हुई T-Shirt से हवा आर पार हो रही थी। मैंने एक राउंड लिया और सामने देखा कि कभी जो दृश्य मेरी कल्पना में रहे हैं। दीवार पर चढ़ती बेलों में बैग़नी रंग के फूल खिले थे, पेड़ पर कुछ सफ़ेद तो कुछ पीले। कुछ लड़कों को सड़क को ही क्रिकेट ग्राउंड बना लिया था। दो लड़कियाँ एक साइकल पर थीं। एक लड़की दूसरी को साइकल चलाना सीखा रही थी। मुझे बचपन की अपने मोहल्ले की लड़कियों का ख़याल आया। मैंने भी ऐसे ही किसी मोहल्ले में इन्हीं लड़कों की तरह क्रिकेट खेलता था। वैसे हल्का हल्का तो सब कुछ ही हमारे आस पास मौजूद होता है, जैसा हम चाहते हैं। हमारे वर्तमान में, हमारे अतीत और भविष्य दोनों से। अब मेरे पैर थोड़े थक गए थे, तभी प्लेलिस्ट में अबीदा परवीन की आवाज़ आयी "तुम्हीं से माँगेंगे तुम ही दोगे, तुम्हारे दर से लौ लगी है।" और मेरे थके पैरों को ऊर्जा मिलती है और वो और तेज़ी से आगे बढ़ने लगे। यह गाना ख़ुदा के लिए है और मैं नस्तिक हूँ पर मेरे लिए इस गाने के अपने मतलब हैं ये अपने सा लगता है। थोड़ी देर में मेरे सात किलोमीटर पूरे हुए और मैं रुक गया। और हाँ मेरी running playlist में सूफ़ी गाने भी है। :) 

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