Monday 19 October 2020

दर्द के पार क्या है?

सेहत के उतार चढ़ाव अपनी गति से चल रहे हैं। डॉक्टर कानाकिया से दूसरी बार consult किया 15 October को, video call पर। उसके ठीक एक दिन पहले दर्द फिर से उठा था। उनकी दवा का कोर्स पूरा हो चुका था और दर्द उठा, इस वजह से मैं थोड़ा और परेशान हो गया था। कम से कम यह बात समझ तो आए कि आख़िर इस दर्द की वजह क्या है? अगले दिन डॉक्टर ने बताया कि डरने की कोई ज़रूरत नहीं यह acid reflux जो कि बहुत आम बात है और ये अपने आप ही वक़्त के साथ ठीक हो जाएगा। मेरी चिंता थोड़ी ज़्यादा थी तो डॉक्टर कानाकिया ने यह बोला कि वो इस बात को लेकर 100 percent sure है कि कुछ भी major नहीं है। मेरे पास जो दवाई है मैं उनके साथ manage कर सकता हूँ। साथ ही एक दो extreme situation भी बताईं कि अब अगर अगली बार ऐसा ऐसा और इतने दिनों तक लगातार हो तो ही मेरे पास आना। वो भी शायद हँस रहे थे। मुझे इस बात की तो तसल्ली हुई कि यह बस acid reflux ही है। 


पर "बस acid reflux" लिखना जितना आसान है उतना उसे झेलना आसान नहीं है। मैंने ये word कई बार अपने आसपास के दोस्तों से सुना था पर इसके पीछे का दर्द मैंने अब महसूस करना शुरू किया था। अभी सोच कर भी डर जाता हूँ। और वही हुआ भी। अगले दिन lunch में मैंने Omelette पराँठा खा लिया। दो घंटे के अंदर अंदर दर्द फिर से उठा। बिस्तर पर कराहते हुए फिर से दवाई ली और लगातार लम्बी लम्बी ढ़कार आती रही, अजीब अजीब आवाज़ के साथ। पेट में अलग अलग जगहों पर रह रह कर दर्द होता रहा। अब जब मुझे थोड़ी ज़्यादा समझ थी मेरी condition की तो मैंने दवाई जल्दी ही ले ली थी। दर्द 40 मिनट में ख़त्म हुआ। फिर से, यह 40 मिनट लिखना बहुत आसान है पर उस तरह के दर्द में रहना एक पल के लिए भी बहुत दर्दनाक है। सारी दुनिया एक तरफ़, काम, नाम, रिश्ते, पैसा... सब एक तरफ़ और दूसरी तरफ़ बस यह गुहार कि कोई ठीक कर दे इस दर्द से मुझे। शरीर अकड़ जाता है अंदर ही अंदर, हिला डुला नहीं जाता। 


यह दर्द इसलिए भी ज़्यादा लगता है क्योंकि यह नए तरह का दर्द है जो मेरे अनुभव से बाहर का दर्द है। अभी इससे ठीक से पहचान नहीं हुई है और यह अचानक ही आया है। ख़ैर निधि से बात कर के हम इस बात तक पहुँचे कि "This bloody egg is the culprit" पीछे तीन बार दर्द तभी हुआ था जब जब अंडे का Omelette खाया था। अब से Omelette बंद और देखते है कि क्या फ़र्क़ पड़ता है। इस बात को चार दिन हो गए हैं। खाने पर थोड़ा और ध्यान दे रहा हूँ कि क्या ख़ाली पेट खाना है और क्या नहीं। सारी acidic चीज़ें बंद कर दी हैं और कल से दवाई भी नहीं खायी है। हाँ दवाई घर में रखी हुई ज़रूर है। इस बात का comfort है कि मुझे जब ज़रूरत होगी या दर्द उठना शुरू होगा तो मैं उसका इस्तेमाल कर सकता हूँ। 


इस पूरे वाक़ये में मेरे सारे दोस्त जिस तरह से उठकर मेरी मदद के लिए आए हैं वो बहुत ही ख़ूबसूरत है। रितु, सौरभ, अंकिता, मनस्वी  सब तैयार हैं। कई दोस्तों को मैंने इस बारे में बताया भी नहीं है, नहीं तो जानता हूँ वो भी मुझे तैयार ही खड़े मिलेंगे। यह एक बहुत ही comforting feeling है। थोड़ा सा मन चिड़चिड़ा भी है तो बहुत ज़्यादा बात या काम करने का अभी मन नहीं करता। अपने साथ ही बैठा रहता हूँ। पढ़ता हूँ, खाता हूँ, सोता हूँ और हाँ सुबह सुबह का दौड़ना चालू है। :) पहले सौ किलोमीटर भी पूरे गए इस हफ़्ते। अपने लिए हर हफ़्ते पंद्रह किलोमीटर भागना तय किया है। 


इसी बीच अंकिता ने Luke Coutinho के three month program के बारे में बताया। वो पहले यह कर चुकी है और उसका अनुभव काफ़ी अच्छा रहा था। Luke Coutinho फ़िट्नेस, diet और lifestyle को लेकर काम करते हैं। मैंने भी थोड़ी research की तो देखा लोगों के बड़े life changing experiences रहे हैं उनके प्रोग्राम को करने के बाद। मैं भी उनका यह program join करने की सोच रहा हूँ। shooting in the dark से better है कि fitness को एक दिशा मिल जाएगी और उम्र भी रोज़ बढ़ ही रही है। जो मैं थोड़ी थोड़ी बातों पर परेशान हो जाता हूँ कम से कम वो तो कम होगा। यह पता होगा कि क्या मेरे शरीर के लिए काम कर रहा है और क्या नहीं। मैं इस program को लेकर बहुत excited हूँ। जानता हूँ बहुत मेहनत करनी पड़ेगी पर ये काम तो ख़ुद को आता है। :) आज ही Luke की टीम से Satish का फ़ोन आया था। मैं कल फ़ोन करके program शुरू करने की हरी झंडी दे दूँगा। देखते हैं ख़ुद को बेहतर करने का यह नया सफ़र कैसा रहता है। देखते हैं इस दर्द के पार क्या है जहाँ मुझे जाना था। :) इसपर लिखता रहूँगा।


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