उसने कहा एक फोटो ले लूँ?
फिर मैनें भी कई पोज़ दिए.
कभी बाहें खोलकर आसमान में,
गगन को अपना मित्र बनाया.
कभी चौड़ी सी स्माइल देकर,
खुश हूँ कितना ये बतलाया.
हवा में खुद को उछाला जैसे,
बंधन अब कोई भी नहीं.
घूरा जग को ऐसे जैसे,
मुझसा विजेता और नहीं.
पर पल दो पल का अभिनय था वो,
खुद अपनी प्रस्तुति का.
सच तो छिपा है गहरा अंदर
अनुभव की अनुभूति का.
जाते ही वहाँ से उसके,
बाहें फिर से सिमट गईं.
गगन भी अब तो मित्र कहाँ था,
मुस्कान भी थोड़ी चिटक गई.
विजय भी दिखती कहीं नहीं अब,
बेड़ियाँ जकड़ी पाता हूँ.
तय करना भी मुश्किल अब ये
वो मैं था, या ये मैं हूँ?
तस्वीर हमारी हमसे अलग है,
हम ऐसी दुनिया में जीते हैं.
मुस्कान दिखाए फिरते सबको,
पर खुद में ही विष पीते हैं.
फिर मैनें भी कई पोज़ दिए.
कभी बाहें खोलकर आसमान में,
गगन को अपना मित्र बनाया.
कभी चौड़ी सी स्माइल देकर,
खुश हूँ कितना ये बतलाया.
हवा में खुद को उछाला जैसे,
बंधन अब कोई भी नहीं.
घूरा जग को ऐसे जैसे,
मुझसा विजेता और नहीं.
पर पल दो पल का अभिनय था वो,
खुद अपनी प्रस्तुति का.
सच तो छिपा है गहरा अंदर
अनुभव की अनुभूति का.
जाते ही वहाँ से उसके,
बाहें फिर से सिमट गईं.
गगन भी अब तो मित्र कहाँ था,
मुस्कान भी थोड़ी चिटक गई.
विजय भी दिखती कहीं नहीं अब,
बेड़ियाँ जकड़ी पाता हूँ.
तय करना भी मुश्किल अब ये
वो मैं था, या ये मैं हूँ?
तस्वीर हमारी हमसे अलग है,
हम ऐसी दुनिया में जीते हैं.
मुस्कान दिखाए फिरते सबको,
पर खुद में ही विष पीते हैं.
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